मद्रास उच्च न्यायालय ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव से प्रश्न किया है कि जब उनकी अपनी बेटी की शादी हो चुकी है, तो वह अन्य महिलाओं को एकांतवास का जीवन जीने के लिए क्यों प्रेरित कर रहे हैं। यह सवाल तब उठा जब एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि सद्गुरु ने उनकी दो बेटियों को “ब्रेनवॉश” किया है ताकि वे ईशा योग केंद्र में स्थायी रूप से रहें।
प्रोफेसर एस. कामराज ने न्यायालय में अपनी बेटियों की उपस्थिति की याचिका दायर की थी। अदालत में उपस्थित होकर बेटियों ने बताया कि वे अपनी मर्जी से वहाँ रह रही हैं। न्यायालय ने मामले की जांच का आदेश देते हुए पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची बनाने के लिए कहा। सद्गुरु द्वारा महिलाओं को एकांतवास के लिए प्रेरित करने पर जजों ने अपनी चिंता व्यक्त की। ईशा फाउंडेशन ने कहा कि महिलाएं अपनी इच्छा से वहाँ हैं।