ISRO के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रेरित करने वाला मुख्य कारण उनका पैशन (जुनून) है, न कि वेतन। उन्होंने स्वीकार किया कि ISRO निजी कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले वेतन की बराबरी नहीं कर सकता, लेकिन यहां काम करने का असली उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष तकनीक में योगदान देना है। डॉ. सोमनाथ ने निजी क्षेत्र से साझेदारी की आवश्यकता को भी रेखांकित किया, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में उच्च वेतन वाली नौकरियां उत्पन्न हो सकें। इसके अलावा उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेजों को अंतरिक्ष विज्ञान और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे विशेष पाठ्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रेरित किया, ताकि छात्रों को उद्योग के अनुरूप आवश्यक कौशल मिल सके।
ISRO ने AICTE के सहयोग से इंजीनियरिंग कॉलेजों में अंतरिक्ष विज्ञान पर आधारित पाठ्यक्रम शुरू किया है, और संस्थाओं से उम्मीद की है कि वे अपनी शोध गतिविधियों को मजबूत करें, ताकि छात्रों को वास्तविक दुनिया में काम करने का मौका मिल सके।