सिकंदर का मुकद्दर फिल्म review: थ्रिलर की बजाय मेलोड्रामा बन गई कहानी

सिकंदर का मुकद्दर फिल्म review: थ्रिलर की बजाय मेलोड्रामा बन गई कहानी

नेराज पांडे की फिल्म ‘सिकंदर का मुकद्दर’ एक दिलचस्प चोर की कहानी से शुरू होती है, लेकिन समय के साथ यह एक उबाऊ और मेलोड्रामेटिक फिल्म में बदल जाती है। फिल्म में जिमी शेरगिल, अविनाश तिवारी, और तमन्ना भाटिया की मुख्य भूमिकाएँ हैं, लेकिन फिल्म की नीरस कहानी और खिंचाव दर्शकों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाती। कहानी में जिमी शेरगिल का किरदार एक सफल जाँच अधिकारी का है, जो अपनी ‘इंस्टिंक्ट’ पर विश्वास करता है, लेकिन फिल्म की गति बहुत धीमी हो जाती है और प्लॉट में कोई नया मोड़ नहीं आता। फिल्म के क्लाइमेक्स में भी कुछ खास नहीं है। अंत में यह फिल्म एक साधारण टीवी शो की तरह महसूस होती है, जिसे देखने में दिलचस्पी खत्म हो जाती है। कुल मिलाकर ‘सिकंदर का मुकद्दर’ एक बार देखी जा सकती है, लेकिन यह फिल्म निर्माता के पिछले थ्रिलर के मुकाबले कमजोर साबित होती है।

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