COP29 के दौरान एक ऐतिहासिक जलवायु समझौता हुआ, जिसमें समृद्ध देशों ने गरीब देशों के लिए $300 बिलियन सालाना देने का वादा किया। हालांकि भारत और अन्य विकासशील देशों ने इसे बहुत कम बताते हुए इसे असंतोषजनक कहा। उनका कहना था कि यह राशि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से निपटने के लिए अपर्याप्त है। समझौते में विकासशील देशों को उनके पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए अधिक वित्तीय मदद की आवश्यकता पर जोर दिया गया, लेकिन समृद्ध देशों ने इसे अपनी आर्थिक समस्याओं और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण सीमित रखा।