भारत में उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत से माता-पिता का जीवन कठिन हो गया है। निजी विश्वविद्यालयों की फीस हर साल बढ़ने के कारण कई माता-पिता अपनी बचत, संपत्ति बेचने और लोन लेने पर मजबूर हो रहे हैं। उदाहरण के तौर पर एक महिला ने अपने दोनों बेटों की शिक्षा के लिए लगभग 70 लाख रुपये खर्च किए और फिर भी उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। सरकारी विश्वविद्यालयों में सीटें सीमित होने के कारण, निजी विश्वविद्यालयों का विकल्प मजबूरी बन गया है, जिससे शिक्षा का खर्च और बढ़ रहा है।