रुचिका शर्मा की अकेली लड़ाई: हिजाब और भारतीय लिबरलवाद की दुविधा

रुचिका शर्मा की अकेली लड़ाई: हिजाब और भारतीय लिबरलवाद की दुविधा

रुचिका शर्मा एक प्रसिद्ध इतिहासकार और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने हिजाब को महिला उत्पीड़न का प्रतीक मानते हुए इसे सार्वजनिक रूप से आलोचना की। उनके इस बयान के बाद उन्हें न केवल धार्मिक कट्टरपंथियों से बल्कि प्रगतिशील समुदाय से भी तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा। उनका मानना है कि हिजाब महिलाओं पर पुरुषों के नियंत्रण का प्रतीक है, हालांकि इसे “चयन” के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। उनकी आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए, कई लिबरल और मुस्लिम समुदाय के लोग उन्हें कट्टरपंथी और इस्लामोफोबिक कह रहे हैं। रुचिका ने कहा कि उनका यह दृष्टिकोण इतिहास और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से प्रेरित है, न कि किसी समुदाय विशेष के खिलाफ। इस पूरे विवाद ने भारतीय समाज में प्रगतिशील विचारों और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच गहरे अंतर्विरोधों को उजागर किया है।

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