दिल्ली में दीवाली के बाद हवा की गुणवत्ता गंभीर रूप से बिगड़ गई, जहां 1 नवंबर को AQI 359 और रात में 500 के आसपास पहुंच गया। युवा पीढ़ी जो पर्यावरण के प्रति जागरूक है, इस उत्सव को जलवायु संकट के संकेत के रूप में देख रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पटाखों पर प्रतिबंध का समर्थन किया, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन में कमी नजर आई। जनरेशन Z इस स्थिति से निराश है, क्योंकि वे जानते हैं कि प्रदूषण के आंकड़े चिंताजनक हैं, लेकिन सरकार ठोस कदम उठाने में असफल है। लेख में यह भी सुझाव दिया गया है कि दीवाली को पटाखों के बिना मनाने का विकल्प बेहतर हो सकता है। साथ ही ‘हरी पटाखों’ की वास्तविकता पर भी सवाल उठाए गए हैं। वास्तविक परिवर्तन के लिए युवाओं को एकजुट होकर आवाज उठाने की आवश्यकता है।