पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में परिवार न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें पति को अपनी पत्नी को ₹3,000 मासिक भरण-पोषण और ₹10,000 एकमुश्त मुकदमे की लागत देने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने सोशल मीडिया पर मिले साक्ष्यों के आधार पर यह निर्णय लिया, जिसमें पत्नी के एक अन्य पुरुष के साथ रहने और अवैध संबंध का संकेत मिला। पति ने सोशल मीडिया पोस्ट और तस्वीरें पेश करते हुए बताया कि पत्नी ने उसे छोड़ दिया है और दूसरे व्यक्ति के साथ रह रही है। कोर्ट ने माना कि डिजिटल साक्ष्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, भले ही उनमें हेरफेर की संभावना हो। अंततः, हाईकोर्ट ने यह कहा कि पत्नी को भरण-पोषण का हक नहीं है, क्योंकि पति को उसकी गलतियों के लिए आर्थिक बोझ नहीं उठाना चाहिए। यह निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों में सोशल मीडिया के महत्व को रेखांकित कर सकता है।
हाईकोर्ट ने पत्नी की भरण-पोषण याचिका खारिज की, सोशल मीडिया साक्ष्य का अहम रोल
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