भारत की केंद्रीय कैबिनेट ने असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा देने को मंजूरी दी है। यह निर्णय पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। शास्त्रीय भाषा का दर्जा पहली बार 2004 में तमिल को दिया गया था। पीएम मोदी ने इन भाषाओं की सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया, विशेष रूप से पाली और प्राकृत की आध्यात्मिकता में उनकी गहरी जड़ें बताई। इस कदम का कई राजनीतिक नेताओं ने स्वागत किया है, जो इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण मानते हैं।
भारत ने पांच भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया
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