हाल ही में चीन में आयोजित एक संगोष्ठी में विद्वानों ने रामायण के प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में पाए जाने वाले प्रभाव पर चर्चा की। भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. जियांग जिंगकुई ने बताया कि रामायण ने चीनी संस्कृति और साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि इस महाकाव्य के कई पात्र जैसे हनुमान, चीनी कहानियों में भी नजर आते हैं, जैसे कि सुन वुकोंग, जो एक लोकप्रिय चरित्र है। 1980 में रामायण का पहला संपूर्ण चीनी अनुवाद किया गया, जो चीन में रामायण के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके अलावा तिब्बत में भी रामायण का गहरा प्रभाव रहा है, जहां इसे साहित्य और नाटकों के माध्यम से फैलाया गया है। विद्वानों ने इस महाकाव्य को आदर्श मानव मूल्यों की खोज के रूप में वर्णित किया, जो विभिन्न संस्कृतियों में अपने मूल्यों को बनाए रखते हुए अनुकूलित होता है।